: बनारस एवं इलाहाबाद के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी : देश का नम्बर एक अखबार यूपी में चार सौ बीसी के साथ प्रेस रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट की कई धाराओं के खुले आम उल्लंघन में बुरी तरह फंसता दिख रहा है. इस अखबार के छह यूनिटों को छोड़कर बाकी सारे एडिशन किसी ना किसी तरीके से फर्जी हैं. यह बात सामने आई है आरटीआई से मिली सूचना के आधार पर. आरटीआई की सूचना से पता चला है कि दैनिक जागरण के बनारस, इलाहाबाद, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, नोएडा एडिशनों का प्रकाशन गलत नामों पर हो रहा है. क्योंकि आरएनआई की जानकारी में जागरण पब्लिकेशन के अंतर्गत इन एडिशनों का नाम नहीं है.
यानी अगर जागरण के आधा दर्जन एडिशन सही रजिस्ट्रेशन पर प्रकाशित हो रहे हैं तो आधा दर्जन एडिशनों को सरकार तथा आरएनआई के आंखों में धूल झोंककर प्रकाशित किया जा रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इन आधा दर्जन जगहों के अखबार जागरण प्रकाशन के बैनर तले रजिस्टर्ड नहीं हैं तो ये किस आधार पर दैनिक जागरण के नाम से अखबार का प्रकाशन कर रहे हैं. सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा बनारस यूनिट में दिख रहा है क्योंकि यह अखबार इस नाम से रजिस्टर्ड न होते हुए भी बनारस तथा इलाहाबाद से दैनिक जागरण के नाम से प्रकाशित हो रहा है.
आरटीआई को आधार माना जाए तो यह अखबार इन आधा दर्जन यूनिटों पर बिना दैनिक जागरण नाम से रजिस्ट्रेशन के प्रकाशित हो रहा है. इस तरह से यह अखबार पिछले कई दशकों में इन आधा दर्जन यूनिटों से अरबों का सरकारी तथा पब्लिक विज्ञापन का राजस्व वसूल चुका होगा. यानी अगर इसकी जांच की जाए तो शायद देश का सबसे बड़ा घोटाला सामने आएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता काशी प्रसाद का कहना है कि इस तरह से किसी और नाम से रजिस्ट्रेशन के बाद दूसरे नाम से अखबार का प्रकाशन बिल्कुल चार सौ बीसी का मामला है. इसकी जांच कराई जाएगी तो अखबार से जुड़े तमाम लोग जेल के अंदर नजर आएंगे, साथ ही एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा.
जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट और अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद का कहना है कि एक जगह से अखबार का रजिस्ट्रेशन कराकर उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव गलत है. परन्तु दैनिक जागरण तथा हिंदुस्तान जैसे अखबार मात्र एक स्थान से रजिस्ट्रेशन कराकर अपने कई सब एडिशन प्रकाशित कर रहे हैं, जो प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट् -1867 की धाराएं 8(बी), 14/15 के अनुसार सही नहीं है. अगर इन मामलों की शिकायत की जाए तो इस तरह की गड़बड़ी करने वाले कई लोग जेल में होंगे. इधर, सूत्रों से पता चला है कि दैनिक जागरण के इसी फर्जीवाड़े को लेकर बनारस यूनिट के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने की तैयारी की जा रही है.
इस बारे में बताया जा रहा है कि बनारस में दैनिक जागरण अवैध तरीके से नौ जिलों में अपने एडिशनों का प्रकाशन कर रहा है. इसके अलावा इलाहाबाद में भी कई जिलों में अवैध प्रकाशन किया जा रहा है. बिना रजिस्ट्रेशन के इन सभी जिलों में अखबार के नए संस्करण रोज प्रकाशित किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इसमें संपादक संजय गुप्ता, स्थानीय संपादक वीरेंद्र कुमार, बनारस के जीएम अंकुर चड्ढा, इलाहाबाद के जीएम गोविंद श्रीवास्तव समेत कई वरिष्ठों तथा सभी जिलों के प्रभारियों के खिलाफ कोर्ट में जाने की तैयारी की जा रही है. रमन कुमार का कहना है कि इस मामले में कई लोग उनके संपर्क में हैं, जो केस करने से पहले सारी जानकारी तथा सबूत पुख्ता कर लेना चाहते हैं. गौरतलब है कि रमन कुमार ने इसी आधार पर जागरण के कई निदेशकों के खिलाफ चारसौबीसी समेत पीआरबी एक्ट के तहत बिहार में मामला दर्ज कर रखा है, जिसके चलते निदेशकों में हड़कम्प मचा हुआ है.
यानी अगर जागरण के आधा दर्जन एडिशन सही रजिस्ट्रेशन पर प्रकाशित हो रहे हैं तो आधा दर्जन एडिशनों को सरकार तथा आरएनआई के आंखों में धूल झोंककर प्रकाशित किया जा रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इन आधा दर्जन जगहों के अखबार जागरण प्रकाशन के बैनर तले रजिस्टर्ड नहीं हैं तो ये किस आधार पर दैनिक जागरण के नाम से अखबार का प्रकाशन कर रहे हैं. सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा बनारस यूनिट में दिख रहा है क्योंकि यह अखबार इस नाम से रजिस्टर्ड न होते हुए भी बनारस तथा इलाहाबाद से दैनिक जागरण के नाम से प्रकाशित हो रहा है.
आरटीआई को आधार माना जाए तो यह अखबार इन आधा दर्जन यूनिटों पर बिना दैनिक जागरण नाम से रजिस्ट्रेशन के प्रकाशित हो रहा है. इस तरह से यह अखबार पिछले कई दशकों में इन आधा दर्जन यूनिटों से अरबों का सरकारी तथा पब्लिक विज्ञापन का राजस्व वसूल चुका होगा. यानी अगर इसकी जांच की जाए तो शायद देश का सबसे बड़ा घोटाला सामने आएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता काशी प्रसाद का कहना है कि इस तरह से किसी और नाम से रजिस्ट्रेशन के बाद दूसरे नाम से अखबार का प्रकाशन बिल्कुल चार सौ बीसी का मामला है. इसकी जांच कराई जाएगी तो अखबार से जुड़े तमाम लोग जेल के अंदर नजर आएंगे, साथ ही एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा.
जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट और अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद का कहना है कि एक जगह से अखबार का रजिस्ट्रेशन कराकर उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव गलत है. परन्तु दैनिक जागरण तथा हिंदुस्तान जैसे अखबार मात्र एक स्थान से रजिस्ट्रेशन कराकर अपने कई सब एडिशन प्रकाशित कर रहे हैं, जो प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट् -1867 की धाराएं 8(बी), 14/15 के अनुसार सही नहीं है. अगर इन मामलों की शिकायत की जाए तो इस तरह की गड़बड़ी करने वाले कई लोग जेल में होंगे. इधर, सूत्रों से पता चला है कि दैनिक जागरण के इसी फर्जीवाड़े को लेकर बनारस यूनिट के खिलाफ मामला दर्ज कराए जाने की तैयारी की जा रही है.
इस बारे में बताया जा रहा है कि बनारस में दैनिक जागरण अवैध तरीके से नौ जिलों में अपने एडिशनों का प्रकाशन कर रहा है. इसके अलावा इलाहाबाद में भी कई जिलों में अवैध प्रकाशन किया जा रहा है. बिना रजिस्ट्रेशन के इन सभी जिलों में अखबार के नए संस्करण रोज प्रकाशित किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इसमें संपादक संजय गुप्ता, स्थानीय संपादक वीरेंद्र कुमार, बनारस के जीएम अंकुर चड्ढा, इलाहाबाद के जीएम गोविंद श्रीवास्तव समेत कई वरिष्ठों तथा सभी जिलों के प्रभारियों के खिलाफ कोर्ट में जाने की तैयारी की जा रही है. रमन कुमार का कहना है कि इस मामले में कई लोग उनके संपर्क में हैं, जो केस करने से पहले सारी जानकारी तथा सबूत पुख्ता कर लेना चाहते हैं. गौरतलब है कि रमन कुमार ने इसी आधार पर जागरण के कई निदेशकों के खिलाफ चारसौबीसी समेत पीआरबी एक्ट के तहत बिहार में मामला दर्ज कर रखा है, जिसके चलते निदेशकों में हड़कम्प मचा हुआ है.
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