जिंदगी कहां इतनी सहज सरल है
राहें टेढ़ी मेढ़ी हैं, पगडंडियों में दलदल है
पी गए जिसे अमृत समझकर दोस्तों
वो तो वास्तव में गले में उतरा गरल है..
विश्वास का टूटना ही लिखा है किताबों में
रिश्ता हिसाबों में भी कहां इतना सरल है
वे कहां आएंगे इस उजाड़ सी झोपड़ी में
उनके ख्वाबों में तो बड़ा सा इक महल है.
राहें टेढ़ी मेढ़ी हैं, पगडंडियों में दलदल है
पी गए जिसे अमृत समझकर दोस्तों
वो तो वास्तव में गले में उतरा गरल है..
विश्वास का टूटना ही लिखा है किताबों में
रिश्ता हिसाबों में भी कहां इतना सरल है
वे कहां आएंगे इस उजाड़ सी झोपड़ी में
उनके ख्वाबों में तो बड़ा सा इक महल है.
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