बुधवार, 2 जनवरी 2013

वे कहते थे

वो कहते थे पत्‍थर पर दूब उगा नहीं करता
मुझे लगता था उगा लूंगा पत्‍थर पर दूब
वो कहते थे रेत में पानी मिला नहीं करता
मुझे लगता था रेत से निकाल लूंगा पानी की बूंद

वो कहते थे गरीबों को सपने देखने का हक नहीं
मुझे लगता था ख्‍वाब को बना लूंगा हकीकत
वो कहते थे प्‍यार भी बिकता है आजकल
मुझे लगता था दिल देकर किसी को बना लूंगा जीनत

पर शायद वे सच कहते थे, बहुत सच
तभी तो पत्‍थर दिल आंखों में डाल जाते हैं रेत
तभी तो मु‍फलिसों के सपने नहीं होते पूरे
तभी तो हर प्‍यार का लग जाता है एक कीमत

वे शायद दिमाग से सोचते थे, दिल से नहीं
उन्‍हें शायद इस दुनिया में जीने का हुनर पता था
वे पत्‍थर दिल भी नहीं थे, पर सपने तोड़ना आता था
वे जानते थे दिल की हकीकत और दिमाग की कीमत

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